➤ मंडी में रात को पहाड़ी से गिरे पत्थरों से दहशत, 200 से ज्यादा लोग घर छोड़ भागे
➤ हिमाचल में 4 नेशनल हाईवे समेत 1277 सड़कें ठप, 3207 ट्रांसफॉर्मर और 790 पेयजल योजनाएं प्रभावित
➤ किन्नौर की ऊंची चोटियों पर सीजन की पहली बर्फबारी, मौसम विभाग ने आज कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और लैंडस्लाइड ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। मंडी जिले के गुरुद्वारा कॉलोनी के पास सोमवार देर रात अचानक पहाड़ी से बड़े-बड़े पत्थर गिरने लगे। तेज आवाजों ने लोगों को इतना दहशत में ला दिया कि 200 से ज्यादा लोग रातों-रात घर छोड़कर सुरक्षित जगह भागे। इस दौरान कई महिलाएं और बच्चे चीखते-रोते हुए नजर आए।

प्रदेशभर में रातभर हुई मूसलधार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं और जगह-जगह लैंडस्लाइड के कारण 4 नेशनल हाईवे समेत 1277 सड़कें बंद हो गई हैं। इसके अलावा 3207 बिजली ट्रांसफॉर्मर ठप पड़ गए हैं और 790 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन भी यातायात के लिए बंद पड़ा है।

इसी बीच किन्नौर जिले की ऊंची चोटियों पर सीजन की पहली बर्फबारी हुई है। नाथपा में देर रात बड़े-बड़े पत्थर गिरने से पांच गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है। मंडी और किन्नौर से लगातार क्षति की तस्वीरें सामने आ रही हैं।

मौसम विभाग ने आज भी दोपहर 12 बजे तक बिलासपुर, कांगड़ा, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है। कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए HPU शिमला, धर्मशाला सेंटर यूनिवर्सिटी समेत शिमला, सोलन, चंबा, ऊना, बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, किन्नौर और कुल्लू जिलों के स्कूल और कॉलेज आज बंद रहेंगे। जिला प्रशासन ने शिक्षकों को ऑनलाइन कक्षाएं लेने के आदेश दिए हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक प्रदेश में बारिश से 3158 करोड़ रुपए की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। मानसून सीजन में अब तक 326 लोगों की मौत, 861 घर पूरी तरह ढह गए हैं, 3335 घरों को आंशिक नुकसान हुआ है, जबकि 471 दुकानें और 3813 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। मौसम विभाग ने 4 सितंबर से मानसून कमजोर पड़ने की संभावना जताई है, लेकिन फिलहाल स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन से मची तबाही ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। रविवार से लगातार हो रही बारिश ने आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। जगह-जगह पहाड़ दरकने से सैकड़ों सड़कें बंद हो गई हैं। ग्रामीण और शहरी इलाकों में बिजली-पेयजल आपूर्ति ठप है। स्थिति को देखते हुए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है और कांगड़ा, मंडी और सिरमौर में आज रेड अलर्ट घोषित किया गया है।
शिक्षा विभाग ने एहतियातन 12 जिलों में स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया है। इनमें शिमला, सोलन, ऊना, हमीरपुर, चंबा, बिलासपुर, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, मंडी समेत कई जिले शामिल हैं। शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए ऑनलाइन कक्षाएं लेने के निर्देश दिए गए हैं।
मनाली-लेह हाईवे बंद होने से कोकसर में करीब 250 वाहन फंस गए हैं। वहीं तीर्थन घाटी में सात घरों को खतरे को देखते हुए खाली कराया गया है। प्रदेश की प्रमुख नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन रही है।
कालका-शिमला रेललाइन पर लगातार भूस्खलन के कारण सभी ट्रेनें 5 सितंबर तक रद्द कर दी गई हैं। वहीं किन्नौर के निगुलसरी और नाथपा के पास नेशनल हाईवे-5 बंद हो गया है, जिससे टापरी में सेब की करीब 7000 पेटियां फंस गई हैं और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
चंबा जिले में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां 239 सड़कें ठप, 207 बिजली ट्रांसफार्मर और 100 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से दूध, सब्जियां और जरूरी सामान बाजारों तक नहीं पहुंच पा रहा, जिससे शहरों में सप्लाई चेन ठप हो गई है। लोग पैदल ही आवाजाही करने के लिए मजबूर हैं।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि राज्य में 8 सितंबर तक बारिश का दौर जारी रहेगा। सितंबर महीने में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को लगातार अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।



